मैं और मेरी तन्हाई
अक्सर साथ रहते हैं
जब भी रहूँ अकेला मैं
वो बस यही कहते हैं
तनहा है जिंदगी
और मैं हूँ तन्हाई
कैसे रहेगा मेरे बगैर
मैं हूँ तुम्हारी सच्चाई
उदास न होना मेरे जीवन
मैं हूँ तुम्हारी परछाई
जहाँ भी रहोगे तुम अकेले
वहाँ तुम्हे हम कभी न भूले
अक्सर तुम्हारे साथ रहकर
जज्बातों को हम परखा करते
अनुभव क्या होते हैं ?
ये हम तुम्हे बताया करते ..
मदद करो सबकी तुम
मदद करो सबकी तुम
पर आश न करो किसी से तुम
यही है जिंदगी जिसमे है जीना
वरना रह जाओगे तुम तनहा
ऐसा ही होता है मेरे साथ
जब आश लगाके बैठता हूँ
सबकुछ सुनसान हो जाता है
और मैं तनहा रह जाता हूँ
फिर साथ देती है मेरी परछाई
मैं और मेरी तन्हाई
***जुगलमिलन ***
अक्सर साथ रहते हैं
जब भी रहूँ अकेला मैं
वो बस यही कहते हैं
तनहा है जिंदगी
और मैं हूँ तन्हाई
कैसे रहेगा मेरे बगैर
मैं हूँ तुम्हारी सच्चाई
उदास न होना मेरे जीवन
मैं हूँ तुम्हारी परछाई
जहाँ भी रहोगे तुम अकेले
वहाँ तुम्हे हम कभी न भूले
अक्सर तुम्हारे साथ रहकर
जज्बातों को हम परखा करते
अनुभव क्या होते हैं ?
ये हम तुम्हे बताया करते ..
मदद करो सबकी तुम
मदद करो सबकी तुम
पर आश न करो किसी से तुम
यही है जिंदगी जिसमे है जीना
वरना रह जाओगे तुम तनहा
ऐसा ही होता है मेरे साथ
जब आश लगाके बैठता हूँ
सबकुछ सुनसान हो जाता है
और मैं तनहा रह जाता हूँ
फिर साथ देती है मेरी परछाई
मैं और मेरी तन्हाई
***जुगलमिलन ***
Poem By: Jugal Milan
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