आज कहाँ चली ये दुनिया ??
गम से मजबूर हुई ये दुनिया.
जीते थे साथ मरते थे साथ,
देश के लिए लड़ते थे साथ,
पर आज ये कैसी बिडम्बना है ?
पैसों के लिए करते हैं घात.
कोई शांत है तो उसे मिला लात,
कैसी ये भ्रष्ट मुलाक़ात ??
बात बात पे है तकरार,
समझ में नहीं आ रहा की
कहाँ जा रही ये सरकार ??
लोग मेहनत करते हैं,
मजदूरी करते हैं,
तो दो वक़्त की रोटी खाते हैं,
सरकार को हमने बनाया क्या की
वो हमारा खून पीते है,
नहीं चाहिये ये लोकतंत्र,
नहीं चाहिये कोई रक्षा,
जिसपे विश्वास किया था हमने;
वही है आज हमें भक्षा.
जाये न जिंदगी, चाहकर भी कहीं
कैसी हो गयी वक़्त की परछाई ?
अब भरोशा किसपे करें और
किससे करे हम देश के लिये प्यार
जब निकम्मी निकल गयी हमारी ये सरकार
हो गयी आज सचमुच बेकार
सचमुच बेकार,,,..........................
गम से मजबूर हुई ये दुनिया.
जीते थे साथ मरते थे साथ,
देश के लिए लड़ते थे साथ,
पर आज ये कैसी बिडम्बना है ?
पैसों के लिए करते हैं घात.
कोई शांत है तो उसे मिला लात,
कैसी ये भ्रष्ट मुलाक़ात ??
बात बात पे है तकरार,
समझ में नहीं आ रहा की
कहाँ जा रही ये सरकार ??
लोग मेहनत करते हैं,
मजदूरी करते हैं,
तो दो वक़्त की रोटी खाते हैं,
सरकार को हमने बनाया क्या की
वो हमारा खून पीते है,
नहीं चाहिये ये लोकतंत्र,
नहीं चाहिये कोई रक्षा,
जिसपे विश्वास किया था हमने;
वही है आज हमें भक्षा.
जाये न जिंदगी, चाहकर भी कहीं
कैसी हो गयी वक़्त की परछाई ?
अब भरोशा किसपे करें और
किससे करे हम देश के लिये प्यार
जब निकम्मी निकल गयी हमारी ये सरकार
हो गयी आज सचमुच बेकार
सचमुच बेकार,,,..........................
Poem By: Jugal Milan
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